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भगवान शिव की आरती (ॐ जय शिव ओमकारा)
बुधवार, 16 जुलाई 2025
by संस्कृति सेवक
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे।
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
चन्दन मृगमद चंदा, भोले शुभकारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
ब्रह्मादिक संतादिक, भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा
कर मध्ये च’कमण्डल, चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगहरता, जगपालन करता॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये, ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ जन गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावेशिव॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा